मुझको राधा रमन,
करदो ऐसा मगन,
रटूं तेरा नाम,
मैं आठों याम ॥
करुणानिधान मोपे कृपा कर रिझिए,
बृज में बसाके मोहे सेवा सुख दीजिए,
प्रेम से भरदो मन,
गाउँ तेरे भजन,
रटूं तेरा नाम,
मैं आठों याम ॥
भाव भरे भूषणो से आपको सजाऊँ मैं,
नितनव् भोज निज हाथों से पवाऊं मैं,
करो जब तुम शयन,
दाबू तुमरे चरण,
रटूं तेरा नाम,
मैं आठों याम ॥
जब भी विहार करो,
प्यारी संग सांवरे,
फूल बन जाऊं जहां,
धरो तुम पाँव रे,
बनके शीतल पवन छू लूँ तेरा बदन,
रटूं तेरा नाम,
मैं आठों याम ॥
तुम्हे देख जीऊं तुम्हे देख मर जाऊं मैं,
जनम जनम तेरा दास ही कहाऊं मैं,
रख लो अपनी शरण,
करदो मन में रमन,
रटूं तेरा नाम,
मैं आठों याम ॥