क्षिप्रा के तट बैठे है, मेरे भोले भंडारी – भजन (Shipra Ke Tat Baithe Hai Mere Bhole Bhandari)

क्षिप्रा के तट बैठे है,
मेरे भोले भंडारी,
भोले भंडारी,
सबको दर्शन देते है,
शिव शम्भू त्रिपुरारी,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥

ये है उज्जैनी के राजा,
इनकी शरण में तू आजा,
शिव जी ही पार करेंगे,
शिव जी के मन में समा जा,
तू शिव शिव रटता जा,
भोले को भजता जा,
तू इतना कहता जा,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥

भोले भी कितने है भोले,
झोली वरदानो की खोले,
दानव हो या देवता हो,
शिवजी तो सबके ही होले,
भस्मासुर हो या रावण,
सबको है किया पावन,
शिव नाम बड़ा मनभावन,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥

शिव जी का धाम निराला,
सुन्दर है शिव का शिवाला,
कैलाश है यही काशी,
उज्जैन मोक्ष देने वाला,
यहाँ कंकर कंकर बोले,
सब शंकर शंकर बोले,
हे गंगाधर भोले,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥

क्षिप्रा का अमृत सा पानी,
कहे है भोले की कहानी,
शिव भक्तो का ये ठिकाना,
करते है तप ज्ञानी ध्यानी,
महाकाल का करलो ध्यान,
करलो इनका गुणगान,
कर देंगे ये कल्याण,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥

क्षिप्रा के तट बैठे है,
मेरे भोले भंडारी,
भोले भंडारी,
सबको दर्शन देते है,
शिव शम्भू त्रिपुरारी,
भोले भंडारी, भोले भंडारी ॥