श्री जगन्नाथ आरती – चतुर्भुज जगन्नाथ (Shri Jagganath Aarti – Chaturbhuja Jagannatha)
चतुर्भुज जगन्नाथकंठ शोभित कौसतुभः ॥ पद्मनाभ, बेडगरवहस्य,चन्द्र सूरज्या बिलोचनः जगन्नाथ, लोकानाथ,निलाद्रिह सो पारो हरि दीनबंधु, दयासिंधु,कृपालुं च रक्षकः कम्बु पानि, चक्र पानि,पद्मनाभो, नरोतमः जग्दम्पा रथो व्यापी,सर्वव्यापी सुरेश्वराहा लोका राजो, देव राजः,चक्र भूपह स्कभूपतिहि निलाद्रिह बद्रीनाथशः,अनन्ता पुरुषोत्तमः ताकारसोधायोह, कल्पतरु,बिमला प्रीति बरदन्हा बलभद्रोह, बासुदेव,माधवो, मधुसुदना दैत्यारिः, कुंडरी काक्षोह, बनमालीबडा प्रियाह, ब्रम्हा बिष्णु, तुषमी बंगश्यो, मुरारिह कृष्ण केशवःश्री … Read more